कोनी गांव: उजड़ने का खौफ, ग्रामीणों की रातें बेचैनी में कट रही, बनेगा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र

गोरखपुर ब्यूरो
कोनी गांव के वाशिंदों के लिए संकट गहराता जा रहा है। पुलिस प्रशिक्षण केंद्र और पीएससी महिला बटालियन की स्थापना के लिए निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। प्रशासन द्वारा करीब 60 ग्रामीणों को पहले ही सीलिंग की जमीन बताकर बेदखल किया जा चुका है। अब 70 और परिवारों को उजाड़े जाने का डर सताने लगा है। लोग अपने पुश्तैनी घरों और जमीन को खोने के डर से नींद नहीं ले पा रहे हैं।

ग्रामीणों में भय और बेघर होने का खौफ

जिन लोगों को पहले ही बेदखल किया गया है, वे अपने लिए दूसरी जगह तलाशने में जुट गए हैं। वहीं, जिन परिवारों को अब बेदखली का सामना करना पड़ सकता है, वे सरकार की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर केस पर उम्मीद लगाए बैठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक अदालत का फैसला नहीं आता, तब तक निर्माण कार्य रोक दिया जाना चाहिए।

प्रशासन पर गंभीर आरोप, ग्रामीणों का पक्ष

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने उनकी 60-70 साल पुरानी पुश्तैनी जमीनों को सीलिंग प्रभावित घोषित कर दिया है। इससे लोग अपने घर और खेतों को लेकर अनिश्चितता में जी रहे हैं।

प्रेमचंद चौरसिया, पूर्व प्रधान, कोनी ने कहा:
“हमारी जमीन पर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण हो रहा है। कोर्ट में केस होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। इससे हम डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं।”

मुआवजा नहीं, सिर्फ दर्द मिला

विजय सिंह, एक स्थानीय किसान, ने कहा:
“हमारी जमीन का न तो मुआवजा मिला और न ही कोई वैकल्पिक जमीन दी गई। पूरी दो एकड़ जमीन सीलिंग के नाम पर जब्त कर ली गई। अब हमें बेघर कर दिया गया है।”

अमरनाथ गुप्ता ने दर्द बयां किया:
“पहले हमारी जमीन रिंग रोड के लिए गई और अब सीलिंग का हवाला देकर मकान तक छीन लिया जा रहा है। अगर यह सब जारी रहा, तो हम फुटपाथ पर आ जाएंगे।”

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि वे 70 सालों से अपनी जमीन पर काबिज हैं। अगर सरकार कोई परियोजना शुरू करना चाहती है, तो उन्हें मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जानी चाहिए।

सरकार से अपील और ग्रामीणों का संघर्ष

कोनी गांव के किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता, निर्माण कार्य रोक दिया जाए। वहीं, ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि उनकी जमीन का उचित मुआवजा दिया जाए या उनकी जमीन वापस की जाए।

निष्कर्ष

कोनी गांव के हालात बेहद चिंताजनक हैं। ग्रामीण अपने घर और जमीन को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकार और प्रशासन को इस मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीणों की मांगों पर विचार करना चाहिए।